ABHASH ANAND
Thursday, June 1, 2023
शिव प्रीत
Tuesday, January 3, 2012
सत्य का एहसास
Sunday, August 29, 2010
हमारा दिल जब चाँद की जगह ले लेगा
आसमान तेरा एक टुकड़ा उसे रहने को दे देना
चाँदनी कही ये ना समझे के कोई अजनबी आया है................
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक जर्रा हूँ तेरे लम्हे से गिरा हुआ |
कितनी जल्दी है तुझे,कहाँ पहुँचना है बताओ
तुम्हे भाग भाग कर पकड़ना नही होता मुझ से
रुक जा कही,साँस तॉ लेलुँ ज़रा,खुद के खेल ना रचाओ
तेरे कदमो से कदम मिला कर,कभी मुझे भी चलने दे
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक क़तरा हूँ तेरे लम्हे से मिला हुआ |
कभी तुम धीमे चलते हो,मेरे पीछे रहते हो
मूड मूड कर देखती रहत हूँ तुझे,के पास आओगे
छुप जाते हो तुम,जब मुझे किसी का इंतज़ार होता है
ज़रूरत होगी इस दिल को तेरी,क्या तब साथ रह पाओगे
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक आस हूँ तेरे लम्हे से जुड़ा हुआ |
Tuesday, June 1, 2010
Wednesday, May 12, 2010
Thursday, January 14, 2010
तालाश
चाँदनी रात मै कभी सुबकता हूँ तो कभी सिसकता हूँ ........
सुबह शाम गमें लहू पीता हूँ, न हो सका किसी का
सारे ज़िन्दगी जिसके लिये वफ़ा करता रहा, वो भी गद्दार कहा
झूठ के कोहरे में मेरी वफ़ा का भाष्कर कहीं छीप सा गया
मुझसे है पुरानी यारी मेरे बदकिस्मती की ,
कभी मै जीतता हु कभी वो जीतता हैं
इस जीत हार के खेल मै वफादार से गद्दार कहलाता हूँ
सुबह शाम गमे लहू पीता हूँ
कभी सुबकता हूँ कभी सिसकता हूँ........
उन्हें शायद पता नहीं नकली सोने में कितनी चमक है
उस नक़ल के चकाचोंध में सच्चा सोना खो गया
लेकिन है विश्वास मन में ,एक दिन ऐसा आयेगा
सत्य की आंधी आयेगी और झूठ का कोहरा फट जायगा
फिर भाष्कर लालिमा लिये छितिज पर लहलहाएगा...
लेकिन तब तक देर बहुत देर हो जायगा .............................
अभाष आनंद, व्याख्याता- मनोविज्ञान विभाग, मधेपुरा कॉलेज, मधेपुरा
Saturday, January 2, 2010
नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना
अगर काम पड़े तो याद करना,
मुझे तो आदत है आपको याद करने की,
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.
ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
कभी दूर तो कभी क़रीब होते है
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है