Thursday, June 1, 2023

शिव प्रीत

नींद आना खत्म  हो जाय जहाँ सें
जिंदगी के सफर की शुरुआत होती है वहाँ से
थोड़े से धूप और गर्मी मे जहाँ परेशान  हो जाते हे हर  कोई
वही लगातार बगैर पलक झपके तरोताज़ा महसूस करता हे कोई
हे उसके पास शिव के प्रीत की पूंजी
तभी  तो किसी संकट  मे बाल बांका नहीं कर  पाता  कोई
हर  हर  महादेव

Tuesday, January 3, 2012

सत्य का एहसास



आज साल का प्रथम दिन प्रारम्भ हुआ आज सवर्प्रथम जननी के चरण स्पर्श से स्वय बडों के आशीर्वाद से दिन का प्रारम्भ क्या आज रविवार होने से नमक खाना वर्जित है.आज तय क्या गया की बाबा सिघेश्वर नाथ के शरण से वर्ष आरम्भ क्या जाय आज विशेष रुद्राभिषेक किये जो बड़ा ही मनमोहन था,जीवन का सत्य तों अध्यात्य ही है,सारे नाते रिश्ते,प्यार वफ़ा समय के साथ दम तोड देता है हर रिश्ते का समय निर्धारित है,एक ईश्र्वर ही सत्य है,हमने नजदीक से देखा है.उम्र से ज्यादा अनुभव से महसूस किया की हमारे इर्द गिर्द जो भी लोग होते है वे समय के साथ होते है,वक्त आपके साथ होता है हर एक कोई आपके साथ होते है और जरा सा प्रभु की अनुकम्पा किया घटी की अपना साया भी लगता है साथ छोड़ देता है.बहुत तकलीफ होती है,उस पल तब बुजुर्गो का कथन “नेकी कर दरिया मे दल”कितना सत्य लगता है.हमने एक बात और महसूस किया है कि हर कोई एक दूसरे को दगा दे रहा है,पिता पुत्र को,पुत्र पिता को,पत्नी पती से प्रेमिका प्रेमी से,निष्ठा और ईमानदारी तों लगता है म्रत्यप्राय हो गया है.वैसे परिस्थिति मे एक शब्द और याद आता है घायल की गति घायल जाने मतलब आपका सत्य वही हो सकता है जिस पर ये प्यार की छुरी चली हो,क्या है यह दुनिया की माया जिसको जो मिला है,उससे आगे बदने की चाह मे उसे खो देता है बाद मे वही अधिकार स्नेह प्यार की कामना भी रखता है,वह यह महसूस नहीं करता की क्या वजह है,कहा मेरी गलती है,कभी कभी सत्य बोलना भी परेशानी का कारण होता है,बेबाक होना दुःख का कारण होता है.उसका एक सहज समाधान भी है,वह यह है की कड़वा सच और बेबाक होकर आप किसी को सुधार नहीं सकते क्योकी ईश्वर ने उसके मुक्दर मे वह पल लिखा है की जिसके वजह से उसका हर चीज खोयेगा जिसके वजह से कोई अच्छी बात सच्ची बात उसे कड़वा लगेगा उस परिस्तिथियों मे एक काम हो सकता है सुधारने की प्रवर्ति से वेहतर खुद मे सुधार लाना लगता है यही सूत्र सही है तनाव कम करने का नववर्ष का यही संकल्प है सुधारने का प्रयास करना है और लगे की असर नहीं हो रहा है तों खुद को परहेज कर लेना है.मेरे जीवन मे मेरे रिश्ते आराध्य और प्यार सबो को दम तोड़ते देखा और बहुत ही धन्यवाद देता हू की उनलोगों के वफ़ा के खंजर ने मुझे नवजीवन दिया मै बहुत प्रसन्न हू और दिल से बधाई नववर्ष मे देता हू की उनलोगों ने एक बड़ा एहसान क्या की मुझे सत्य का एहसास करवाया....
        
 प्रो.आभाष आनंद झा
     मधेपुरा     

Sunday, August 29, 2010

हमारा दिल जब चाँद की जगह ले लेगा

हमारा दिल जब चाँद की जगह ले लेगा
आसमान तेरा एक टुकड़ा उसे रहने को दे देना
चाँदनी कही ये ना समझे के कोई अजनबी आया है................

वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक जर्रा हूँ तेरे लम्हे से गिरा हुआ |
कितनी जल्दी है तुझे,कहाँ पहुँचना है बताओ
तुम्हे भाग भाग कर पकड़ना नही होता मुझ से
रुक जा कही,साँस तॉ लेलुँ ज़रा,खुद के खेल ना रचाओ
तेरे कदमो से कदम मिला कर,कभी मुझे भी चलने दे

वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक क़तरा हूँ तेरे लम्हे से मिला हुआ |

कभी तुम धीमे चलते हो,मेरे पीछे रहते हो
मूड मूड कर देखती रहत हूँ तुझे,के पास आओगे
छुप जाते हो तुम,जब मुझे किसी का इंतज़ार होता है
ज़रूरत होगी इस दिल को तेरी,क्या तब साथ रह पाओगे

वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक आस हूँ तेरे लम्हे से जुड़ा हुआ |

Tuesday, June 1, 2010

हम हर कोशिश कर के हार गये

Wednesday, May 12, 2010

जिंदगी भी

Thursday, January 14, 2010

तालाश

  • चाँदनी रात मै कभी सुबकता हूँ तो कभी सिसकता हूँ ........

    सुबह शाम गमें लहू पीता हूँ, न हो सका किसी का

    सारे ज़िन्दगी जिसके लिये वफ़ा करता रहा, वो भी गद्दार कहा

    झूठ के कोहरे में मेरी वफ़ा का भाष्कर कहीं छीप सा गया

    मुझसे है पुरानी यारी मेरे बदकिस्मती की ,

    कभी मै जीतता हु कभी वो जीतता हैं

    इस जीत हार के खेल मै वफादार से गद्दार कहलाता हूँ

    सुबह शाम गमे लहू पीता हूँ

    कभी सुबकता हूँ कभी सिसकता हूँ........

    उन्हें शायद पता नहीं नकली सोने में कितनी चमक है

    उस नक़ल के चकाचोंध में सच्चा सोना खो गया

    लेकिन है विश्वास मन में ,एक दिन ऐसा आयेगा

    सत्य की आंधी आयेगी और झूठ का कोहरा फट जायगा

    फिर भाष्कर लालिमा लिये छितिज पर लहलहाएगा...

    लेकिन तब तक देर बहुत देर हो जायगा .............................

    अभाष आनंद, व्याख्याता- मनोविज्ञान विभाग, मधेपुरा कॉलेज, मधेपुरा

Saturday, January 2, 2010

नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना

नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना,
अगर काम पड़े तो याद करना,
मुझे तो आदत है आपको याद करने की,
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.


ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
कभी दूर तो कभी क़रीब होते है
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है