Tuesday, January 3, 2012

सत्य का एहसास



आज साल का प्रथम दिन प्रारम्भ हुआ आज सवर्प्रथम जननी के चरण स्पर्श से स्वय बडों के आशीर्वाद से दिन का प्रारम्भ क्या आज रविवार होने से नमक खाना वर्जित है.आज तय क्या गया की बाबा सिघेश्वर नाथ के शरण से वर्ष आरम्भ क्या जाय आज विशेष रुद्राभिषेक किये जो बड़ा ही मनमोहन था,जीवन का सत्य तों अध्यात्य ही है,सारे नाते रिश्ते,प्यार वफ़ा समय के साथ दम तोड देता है हर रिश्ते का समय निर्धारित है,एक ईश्र्वर ही सत्य है,हमने नजदीक से देखा है.उम्र से ज्यादा अनुभव से महसूस किया की हमारे इर्द गिर्द जो भी लोग होते है वे समय के साथ होते है,वक्त आपके साथ होता है हर एक कोई आपके साथ होते है और जरा सा प्रभु की अनुकम्पा किया घटी की अपना साया भी लगता है साथ छोड़ देता है.बहुत तकलीफ होती है,उस पल तब बुजुर्गो का कथन “नेकी कर दरिया मे दल”कितना सत्य लगता है.हमने एक बात और महसूस किया है कि हर कोई एक दूसरे को दगा दे रहा है,पिता पुत्र को,पुत्र पिता को,पत्नी पती से प्रेमिका प्रेमी से,निष्ठा और ईमानदारी तों लगता है म्रत्यप्राय हो गया है.वैसे परिस्थिति मे एक शब्द और याद आता है घायल की गति घायल जाने मतलब आपका सत्य वही हो सकता है जिस पर ये प्यार की छुरी चली हो,क्या है यह दुनिया की माया जिसको जो मिला है,उससे आगे बदने की चाह मे उसे खो देता है बाद मे वही अधिकार स्नेह प्यार की कामना भी रखता है,वह यह महसूस नहीं करता की क्या वजह है,कहा मेरी गलती है,कभी कभी सत्य बोलना भी परेशानी का कारण होता है,बेबाक होना दुःख का कारण होता है.उसका एक सहज समाधान भी है,वह यह है की कड़वा सच और बेबाक होकर आप किसी को सुधार नहीं सकते क्योकी ईश्वर ने उसके मुक्दर मे वह पल लिखा है की जिसके वजह से उसका हर चीज खोयेगा जिसके वजह से कोई अच्छी बात सच्ची बात उसे कड़वा लगेगा उस परिस्तिथियों मे एक काम हो सकता है सुधारने की प्रवर्ति से वेहतर खुद मे सुधार लाना लगता है यही सूत्र सही है तनाव कम करने का नववर्ष का यही संकल्प है सुधारने का प्रयास करना है और लगे की असर नहीं हो रहा है तों खुद को परहेज कर लेना है.मेरे जीवन मे मेरे रिश्ते आराध्य और प्यार सबो को दम तोड़ते देखा और बहुत ही धन्यवाद देता हू की उनलोगों के वफ़ा के खंजर ने मुझे नवजीवन दिया मै बहुत प्रसन्न हू और दिल से बधाई नववर्ष मे देता हू की उनलोगों ने एक बड़ा एहसान क्या की मुझे सत्य का एहसास करवाया....
        
 प्रो.आभाष आनंद झा
     मधेपुरा